संविदा कर्मचारियों का दर्द: 10 साल की सेवा के बाद भी भविष्य अंधकार में, कब जागेगी सरकार?
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जयपुर |
राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (NIA) में पिछले 10-12 वर्षों से कार्यरत दो दर्जन से अधिक संविदा कर्मचारी आज भी अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता की स्थिति में हैं। ये कर्मचारी वर्षों से इस उम्मीद में अपनी सेवाएं दे रहे हैं कि कभी न कभी उन्हें स्थायी नियुक्ति मिलेगी, लेकिन सरकार की बेरुखी ने उनकी जिंदगी को संघर्षों से भर दिया है।
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जो कि केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन आता है, यहां कार्यरत संविदा कर्मचारियों को राजस्थान सरकार से न तो बोनस अंक मिल रहे हैं, न ही उन्हें नियुक्ति दी जा रही है। इससे इन कर्मचारियों के सपने, उनकी मेहनत और समर्पण पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
10 साल की मेहनत, लेकिन सरकार का कोई भरोसा नहीं!
संविदा कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों का आरोप है कि राजस्थान सरकार के मंत्री और अधिकारी उनकी समस्याओं से मुंह मोड़ रहे हैं। बार-बार गुहार लगाने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला। ऐसे में इन 25 कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है।
एक कर्मचारी ने दुखी होकर कहा, "हमने अपनी जिंदगी के दस साल इस संस्थान को दिए, पूरी ईमानदारी से काम किया, लेकिन आज भी हमें स्थायी नौकरी नहीं मिली। सरकार बस वादे करती रही, लेकिन हमारी सुनवाई कोई नहीं कर रहा।"
सरकार की दोहरी नीति, अन्य जगह नियुक्ति लेकिन NIA में अनदेखी!
यह विडंबना ही है कि जब सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी में संविदा कर्मचारियों को नियुक्ति दी जा सकती है, तो फिर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के कर्मचारियों को क्यों अनदेखा किया जा रहा है? क्या उनकी मेहनत और समर्पण का कोई मूल्य नहीं?
संघ के एक पदाधिकारी ने कहा, "हम कोई खैरात नहीं मांग रहे, हमने सालों तक मेहनत की है, ईमानदारी से अपनी सेवाएं दी हैं। सरकार हमारी उपेक्षा क्यों कर रही है? अगर दूसरे संस्थानों में संविदा कर्मचारियों को नियुक्ति मिल सकती है, तो हमें क्यों नहीं?"
आयुर्वेद विभाग बना ‘कुंभकरण’, कब खुलेगी नींद?
संविदा कर्मचारी संघ का आरोप है कि आयुर्वेद विभाग गहरी नींद में सो रहा है। उनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। बार-बार पत्र भेजने, धरना-प्रदर्शन करने के बावजूद सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
एक अन्य कर्मचारी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "हमने कई बार अधिकारियों से मुलाकात की, लेकिन हर बार बस आश्वासन ही मिला। हमारी जिंदगी का सबसे कीमती समय इस इंतजार में निकल गया कि कभी तो सरकार हमारी सुध लेगी।"
संविदा कर्मचारियों का दर्द, कब मिलेगा न्याय?
10-12 साल की सेवा के बावजूद स्थायी नियुक्ति नहीं।
राजस्थान सरकार से न तो बोनस अंक मिल रहे हैं, न ही कोई राहत।
अन्य संस्थानों में संविदा कर्मचारियों को नियुक्ति, लेकिन NIA के कर्मचारियों को अनदेखी।
सरकार के मंत्री और अधिकारी मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर सरकार इन कर्मचारियों को कब न्याय देगी? क्या इनकी मेहनत और समर्पण का कोई मूल्य नहीं? संविदा कर्मचारी कब तक अनिश्चितता और बेरोजगारी के डर के साथ काम करते रहेंगे?
संविदा कर्मचारियों को न्याय कब?
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में कार्यरत इन 25 संविदा कर्मचारियों की जिंदगी संघर्षों में घिरी हुई है। वे दिन-रात मरीजों की सेवा कर रहे हैं, अस्पताल के सुचारू संचालन में योगदान दे रहे हैं, लेकिन सरकार उन्हें स्थायी नियुक्ति देने में असमर्थ नजर आ रही है।
राज्य सरकार को चाहिए कि वे इन कर्मचारियों की समस्याओं को गंभीरता से लें और उन्हें उनका हक और सम्मान दिलाने के लिए तुरंत कदम उठाएं। वरना जिस दिन इन कर्मचारियों का धैर्य जवाब देगा, तब सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो सकता है।