दिल्ली में चुनावी घमासान-राजनीतिक मैदान में IPL जैसा एक्शन

दिल्ली में चुनावी घमासान-राजनीतिक मैदान में IPL जैसा एक्शन

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद अब राजनीति का फोकस दिल्ली पर आ गया है। विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और राजनीतिक दल अपनी-अपनी टीम को मजबूत करने में जुट गए हैं। स्थिति कुछ ऐसी है जैसे आईपीएल में खिलाड़ियों की नीलामी हो रही हो। वैचारिक मतभेद, पुरानी पार्टियों से नाता तोड़ने की प्रक्रिया, सब पीछे छूट गए हैं। अब बस देखा जा रहा है कि कौन तुरुप का इक्का साबित हो सकता है।

बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, तीनों ही दल इस चुनावी खेल में पीछे नहीं रहना चाहते। इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी ने एक बड़ा दांव खेला है—प्रसिद्ध शिक्षाविद् और कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाने वाले अवध ओझा को अपनी टीम में शामिल करके।

क्या AAP लगा पाएगी जीत की हैट्रिक?

आम आदमी पार्टी के लिए इस बार का चुनाव बेहद खास है। पार्टी लगातार तीसरी बार भारी अंतर से जीतने का दबाव महसूस कर रही है। अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में AAP ने बीते दो चुनावों में फ्री बिजली-पानी जैसे वादों के जरिए बड़ी जीत हासिल की, लेकिन इस बार उन्हें कुछ अलग करना होगा। ओझा जी की एंट्री के साथ पार्टी को उम्मीद है कि वो चुनाव में एक नया नरेटिव देंगे।

दिल्ली की राजनीति में हैट्रिक लगाना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले शीला दीक्षित भी लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। ऐसे में केजरीवाल को न सिर्फ अपने पुराने फॉर्म को बरकरार रखना होगा, बल्कि युवाओं को भी आकर्षित करने का नया तरीका अपनाना होगा।

युवाओं की भूमिका होगी अहम

इस चुनाव में युवाओं की भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है। अवध ओझा, जो यूपीएससी कोचिंग के क्षेत्र में एक बड़ा नाम हैं, युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं। उनकी देसी अंदाज वाली पूर्वांचली छवि दिल्ली के पूर्वांचली वोटरों को भी लुभा सकती है, जिनकी संख्या करीब 70 में से आधी सीटों पर जीत-हार तय करती है।

इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में अरविंद केजरीवाल के काम को और मजबूती देने के लिए ओझा एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। उनका अनुभव और सोशल मीडिया पर उनकी पकड़ पार्टी के लिए बड़ा फायदा साबित हो सकती है।

निष्कर्ष

दिल्ली की राजनीति में इस बार आईपीएल जैसा रोमांच देखने को मिलेगा। पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति के साथ मैदान में उतर चुकी हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जीत की हैट्रिक लगा पाएगी या विपक्ष कोई नया पासा फेंकेगा।