मेहनत से लिखी नई कहानी: रतिशा यादव की पी.एच.डी यात्रा!

मेहनत से लिखी नई कहानी: रतिशा यादव की पी.एच.डी यात्रा!

"सपनों की उड़ान को पंख चाहिए, और पंखों को मेहनत की पहचान चाहिए।"  
इन्हीं पंखों को मेहनत और लगन का सहारा देकर, रतिशा यादव ने अपने नाम एक और गौरवशाली उपलब्धि दर्ज कराई है।  
आई.आई.एस (डीम्ड यूनिवर्सिटी) ने रतिशा यादव को उनकी शोधपूर्ण और अनुकरणीय मेहनत के लिए डॉक्ट्रेट (पी.एच.डी) की उपाधि से नवाजा है। यह उपलब्धि न केवल रतिशा, बल्कि उनके परिवार और विश्वविद्यालय के लिए भी गर्व का विषय है।  

रतिशा यादव ने "ऐन एम्पिरिकल स्टडी ऑन परसेप्शन एंड एटीट्यूड ऑफ़ वर्किंग वूमेन टुवर्ड्स मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज" (MOOCs) विषय पर अपने शोध कार्य को अंजाम दिया। उनकी यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि नए ज़माने की लड़कियां न केवल समाज की परिभाषाओं को बदल रही हैं, बल्कि अपने विचारों और मेहनत से भविष्य का मार्ग भी तैयार कर रही हैं।  

उनके इस शोध कार्य में मार्गदर्शन दिया प्रोफेसर डॉ. अदिति आर. खंडेलवाल ने, जिन्होंने हमेशा से अपने छात्रों को आगे बढ़ने और हर कठिनाई को पार करने की प्रेरणा दी है।  

रतिशा की उपलब्धि: मेहनत और समर्पण का नतीजा
रतिशा की सफलता यह साबित करती है कि "जहां चाह, वहां राह।"
रतिशा का यह शोध वर्किंग महिलाओं के दृष्टिकोण और ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली (MOOCs) की उपयोगिता पर आधारित है। यह अध्ययन न केवल शिक्षा क्षेत्र में योगदान देगा, बल्कि कार्यरत महिलाओं के लिए नए अवसरों के द्वार भी खोलेगा।  

उनकी सफलता का श्रेय केवल उनके मेहनती स्वभाव को नहीं, बल्कि उनके माता-पिता की निस्वार्थ प्रेरणा और उनके शिक्षकों के अनुशासनात्मक मार्गदर्शन को भी जाता है।  

रतिशा की कहानी: हर छात्र के लिए प्रेरणा
रतिशा का सफर आसान नहीं था। जब रास्ते में मुश्किलें आईं, तो उन्होंने हार मानने के बजाय, उन्हें अपनी ताकत बनाया। उनकी यह उपलब्धि यह संदेश देती है कि छात्र चाहे किसी भी पृष्ठभूमि से आते हों, यदि उनके पास सही दिशा, धैर्य और मेहनत हो, तो मंज़िल उनके कदम चूमती है।  

"आसान नहीं होती सफलता की राह,  
पर जज्बा हो तो हर मुश्किल भी होती है तवाह।"

रतिशा की इस उपलब्धि पर उनके माता-पिता, प्रोफेसर और आई.आई.एस. विश्वविद्यालय प्रशासन को बहुत-बहुत बधाई। यह कामयाबी केवल रतिशा का सम्मान नहीं है, बल्कि यह हर उस छात्र के लिए एक संदेश है जो अपने सपनों को पाने की कोशिश में है।  

"सपनों को देखने की हिम्मत करो,  
क्योंकि सपने ही वो बीज हैं जो मेहनत की जमीन पर सफलता के पेड़ बनते हैं।"

हमारे देश के युवा अगर रतिशा जैसे जज्बे और मेहनत को अपनाएं, तो हर छात्र अपने जीवन में कुछ नया कर सकता है।
परिवार, विश्वविद्यालय प्रशासन और सभी शिक्षकों को यह याद रखना चाहिए कि आपकी प्रेरणा ही छात्रों की नींव है।  

तो दोस्तों, अपनी राह चुनिए, मेहनत कीजिए और हर बाधा को पार कर एक नई कहानी लिखिए। क्योंकि,  
"सपनों का सच होना बाकी है,  
सफर अभी बाकी है!"


पवन कुमार शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार