अविनाश गहलोत के साथ टीकाराम जूली और हरीश चौधरी के अंश हटाए
सोलहवीं राजस्थान विधान सभा के द्वितीय सत्र में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने गुरुवार सांय से शुक्रवार दोपहर तक सदन में आये गतिरोध को समाप्त करा दिया। उन्होंने प्रतिपक्ष द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों को गलत बताया और सदन की रिपोर्ट का अवलोकन करने का आग्रह किया। सदन में पक्ष और प्रतिपक्ष के सभी सदस्यों ने अध्यक्ष के प्रति पूर्ण विश्वास व्यक्त किया.
प्रतिपक्ष नेता और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने अध्यक्ष से अनुरोध किया कि आपत्तिजनक अंश हटाए जाएं। देवनानी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अविनाश गहलोत, टीकाराम जूली और हरीश चौधरी के गुरुवार को दिए गए उदबोधनों में से असंसदीय, आपत्तिजनक और अमर्यादित शब्दों को हटाने के निर्देश दिए. देवनानी ने कहा कि सर्वसम्मति से अध्यक्ष निर्वाचित होने पर उन पर पद की गरिमा बनाए रखने की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने निष्पक्षता से कार्य किया है और सभी सदस्यों से शिष्टाचार अपनाने की अपेक्षा की है. देवनानी ने कहा कि सदन प्रदेश की जनता का पवित्र स्थल है और इसकी गरिमा, परंपराओं और मर्यादाओं का पालन सभी सदस्यों का दायित्व है। सभी सदस्यों को राजस्थान विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 269 का अध्ययन करना चाहिए. देवनानी ने कहा कि किसी सदस्य को किसी शब्द या बात से आपत्ति है तो वे उनके कक्ष में मिल सकते हैं। उनका प्रयास है कि सदन नियमों, परंपराओं और मर्यादाओं से चले ताकि जनता की समस्याओं का सही समाधान हो सके. उन्होंने कहा कि सदन का प्रत्येक सेकंड महत्वपूर्ण होता है। सदस्यों को समय का ध्यान रखना चाहिए और सदन के नियमों का पालन करना चाहिए. प्रतिपक्ष नेता टीकाराम जूली ने कहा कि उनकी मंशा आसन का अपमान करने की नहीं थी। उन्होंने अध्यक्ष से संरक्षण की अपेक्षा व्यक्त की और यदि उनकी बात से आसन की भावना को ठेस पहुँची हो तो माफी मांगी. विधायक गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि अध्यक्ष पद पर वासुदेव देवनानी के नाम की घोषणा होने पर सभी सदस्यों ने उन्हें सुलझा हुआ व्यक्ति बताया था। अध्यक्ष से प्रतिपक्ष को संरक्षण मिला है और भविष्य में भी संरक्षण की अपेक्षा है. संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि आसन के किसी भी आदेश की अवहेलना नहीं की गई है और ना ही भविष्य में ऐसा होगा। देवनानी इस दायित्व को निष्पक्षता और पारदर्शी व्यवस्था के साथ निभा रहे हैं.