उपेक्षित और वंचितों की सेवा, ईश्वर की पूजा के समान है, सेवा के लिए धन की नहीं मन की जरूरत- भैयाजी जोशी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि समाज में उपेक्षित और वंचित वर्गों की सेवा ईश्वर की पूजा के समान है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि समाज के सभी वर्गों के एक होने से ही श्रेष्ठ भारत का निर्माण हो सकता है। सेवा कार्यों में धन की नहीं, बल्कि मन की आवश्यकता होती है।
यह बातें भैयाजी जोशी ने सेवा भारती राजस्थान के वार्षिक उत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि देश में कई जातियां वंचित रूप से जीवन यापन कर रही हैं, खासकर घुमंतु जातियां, जिन्हें बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। कुछ जातियां तो सामान्य नागरिक अधिकारों से भी वंचित हैं, उनके पास रहने के लिए घर या जीविकोपार्जन के साधन नहीं हैं।
जोशी ने समाज में व्याप्त छुआछूत और भेदभाव पर चिंता जताते हुए कहा कि जो लोग दलित, हरिजन या अछूत माने जाते हैं, वे भी हमारे समाज का ही हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, "अगर ईश्वर हर व्यक्ति में है, तो कोई भी भिन्न कैसे हो सकता है?" उन्होंने समाज के उपेक्षित वर्गों को सशक्त बनाने और उन्हें सम्मान से जीवन जीने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम के दौरान सेवा भारती के विभिन्न प्रकल्पों में पढ़ने वाले सेवा बस्तियों के बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इसके अलावा, सेवा भारती के कार्यों पर आधारित एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई, जिसमें संगठन के अब तक के योगदान को दर्शाया गया।