जयपुर में 'विरासत से विकास' प्रदर्शनी का किया अवलोकन
जवाहर कला केन्द्र की ओर से 'अतुल्य अगस्त' के तहत आयोजित 'विरासत से विकास' उत्सव का मंगलवार को तीसरा दिन रहा। कला एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने उत्सव के तहत आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उन्होंने टाइमलेस टेक्सटाइल ट्रेडिशन एग्जीबिशन में संजोये गए हैंडलूम प्रोडक्ट्स, ट्राइबल आर्ट और वेस्ट मटेरियल से बने प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। बुधवार को टाइमलेस टेक्सटाइल ट्रेडिशन एग्जीबिशन का अंतिम दिन है। रघुकुल ट्रस्ट के क्यूरेशन में आयोजित उत्सव में 'क्लासिक अमंग ट्रेंड्स' विषय पर हुए संवाद प्रवाह में जोगी आर्ट विशेषज्ञ गोविंद जोगी और टेक्सटाइल आर्टिस्ट आशीष जैन ने अपने विचार साझा किए और फेस्टिवल क्यूरेटर और सोशल एंटरप्रेन्योर साधना गर्ग ने सत्र का संचालन किया। इस दौरान केन्द्र की अति. महानिदेशक सुश्री प्रियंका जोधावत, अभिनेत्री लुबना सलीम, नाट्य निर्देशक सलीम आरिफ़ भी मौजूद रहे।
श्रीमती गायत्री राठौड़ ने कहा कि 'विरासत से विकास' प्रदर्शनी का उद्देश्य हमारी समृद्ध धरोहर और इतिहास से आमजन को रूबरू करवाना है। इस प्रदर्शनी में वर्षों पुरानी कला का प्रदर्शन टेक्सटाइल और हैंडलूम के माध्यम से किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से जयपुर के पर्यटक, कलाकार, और छात्र हमारी विरासत को समझ सकेंगे। यह प्रयास है मेहनती कलाकारों और उनकी कला को प्रोत्साहित करने का।
संवाद प्रवाह में टोंक की दूनी तहसील निवासी टेक्सटाइल आर्टिस्ट आशीष जैन ने कहा कि भारतीय संस्कृति में हस्तनिर्मित वस्त्रों का विशेष महत्व रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच भी इस दिशा में प्रेरणा देती है। आशीष जैन हस्तनिर्मित वस्त्रों को प्रमोट करने के लिए आवाह नाम से प्रोडक्ट चला रहे हैं। उनका कहना है कि राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित अनोखी साड़ियाँ तैयार कर युवाओं को रोजगार देने का प्रयास किया जा रहा है। इससे टोंक जिले में पलायन को रोकने की कोशिश की जा रही है। आशीष ने बताया कि उनके टेक्सटाइल आर्ट का हुनर बड़ी कंपनियों के साथ काम करने का मौका दे रहा है। विशेष रूप से रीसायकल, रिन्यू, और रिक्रिएट थीम पर आधारित प्रोजेक्ट्स के तहत दूध की थैलियों को इकट्ठा कर उन्हें फैब्रिक में बदलने का कार्य किया जा रहा है, जिससे विभिन्न प्रकार के बैग्स भी तैयार किए जा रहे हैं।
जोगी आर्ट विशेषज्ञ गोविंद जोगी, सिरोही के मगरीवाड़ा गांव के एक ट्राइबल आर्टिस्ट हैं। उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज कई वर्षों से पारंपरिक रूप से रावण हत्था बजाते थे। बाद में, उनके पिता ने जोगी कला को एक पेशे के रूप में अपनाया और अब राजस्थान और अहमदाबाद में कुल 22 जोगी आर्टिस्ट हैं। इस कला पर कई किताबें और फिल्में भी बन चुकी हैं, जिनमें एक किताब उनकी मां तेजू बाई पर भी लिखी गई है। गोविंद ने रावण हत्था के बारे में बताते हुए कहा कि यह वाद्य यंत्र रावण ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए बनाया था।
फेस्टिवल क्यूरेटर और सोशल एंटरप्रेन्योर साधना गर्ग ने बताया कि इस आयोजन में विरासत का महत्व स्थापित करने के लिए उन्होंने घर-घर जाकर सहयोग मांगा। जयपुर वासियों ने अपने पूर्वजों की निशानियों को प्रदर्शनी के लिए उपलब्ध करवाया। उन्होंने जयपुर के कला प्रेमियों की सराहना करते हुए कहा कि यहाँ कला का जो महत्व है, वह देशभर में कहीं और देखने को नहीं मिलता। मशहूर अभिनेत्री लुबना सलीम भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थीं। लुबना सलीम ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर के रूप में वर्णित किया।