ऐसा शिव भक्त जो मात्र 6 साल की उम्र से ही शिव भक्ति में लग गया

ऐसा शिव भक्त जो मात्र 6 साल की उम्र से ही शिव भक्ति में लग गया

कलयुग में दिखा एक ऐसा शिव भक्त जो करीब 33 सालों से भी ज्यादा समय से अद्भुत भक्ति कर रहा है. जिस की भक्ति देख आप भी हैरान हो जाएगें . ऐसा शिव भक्त जो मात्र 6 साल की उम्र से ही शिव भक्ति में लग गया. जब -जब सावन आता है वो भक्त एक ही आसन पर बैठकर पूरे महिने 22 से 23 घंटे भगवान का जलाभिषेक करते है. एक बार अगर आसन पर बैठ गए तो उसके बाद ना कुछ खाते है ना कुछ पीते है. जी हां हम बात कर रहे है निंरजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज की कहा जाता है कि इस महिने में शिव को प्रसन्न करना आसान होता है.  मात्र जडल चढ़ाकर ही आप शिव भगवान को प्रसन्न कर सकते है. यह माह हर एक शिवभक्त के लिए खास होता है. वहीं कुछ लोग शिव कि अराधना कठिन तरीके से भी करते है .लेकिन आज हम आपको एक ऐसे भक्त के बारे में बता रहे है जो भगवान शिव की अराधना में दिन - रात एक कर देते है.

निंरजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज  जी हां बहुत से लोगों ने इन महाराज के बारे में सुना होगा. इनका अलग अंदाज है भगवान शिव को प्रसन्न करने का उनकी अराधना करने का  स्वामी कैलाशानंद जी महाराज एक हिंदू आध्यात्मिक गुरु, संत, योग गुरु और हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषाओं के विद्वान और लेखक हैं. स्वामी कैलाशानंद गिरि जी निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं. इस कलियुग में देवाधिदेव महादेव के सबसे कठोर उपासक और कठिन साधना करने वाले महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि महाराज पूरे श्रावण मास में संपूर्ण विधि विधान से श्रद्धा पूर्वक एक आसन पर 22 से 23 घंटे बैठकर अपने आराध्य महादेव का दिव्य जलाभिषेक करते है. इस दौरान ना वो कुछ खाते है ना पीते है. सिर्फ शिव नाम का जाप करते है. लगातार श्रावण मास में वो ऐसे ही शिव को पूजते है. करिब 33 सालों से इसी तरह से शिव की पूजा करते आ रहे है. कैलाशानंद जी का मानना है कि मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न होने वाले महादेव शिव की महिमा अपरम्पार है. सृष्टि की उत्पत्ति स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव ही हैं. त्रिदेवों में संहार के देवता माने गए शिव ही अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं. श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की शरण में आने वाले साधक के जीवन की सभी दुश्वारियां दूर हो जाती हैं.